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क्यों रहा मुश्किल ईतना? खुद के ही घर में रहना।
क्यों खुद को हर कोई असहाय महसूस कर रहा।
क्यों खुद को कैद समझ रहा? कैद नहीं हो तुम वक्त तुमको मिल रहा अपनी सोच को पंख दो, अपनी कला के रंग भर दो।
इस व्यस्त जिंदगी में जो नहीं कर पाए थे, वह आज ही तो है। जिन को समझ नहीं पाए थे,उनको समझ लो। समझाना है जिनको उनको समझा दो। जो बेशकीमती समय नही
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