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क्यों रहा मुश्किल ईतना? खुद के ही घर में रहना।
क्यों खुद को हर कोई असहाय महसूस कर रहा।
क्यों खुद को कैद समझ रहा? कैद नहीं हो तुम वक्त तुमको मिल रहा अपनी सोच को पंख दो, अपनी कला के रंग भर दो।
इस व्यस्त जिंदगी में जो नहीं कर पाए थे, वह आज ही तो है। जिन को समझ नहीं पाए थे,उनको समझ लो। समझाना है जिनको उनको समझा दो। जो बेशकीमती समय नहीं दे पाए थे,अपना उनको समय दो और खुद को नवीन सोच दो।
कैद नहीं हो तुम, वास्तव में जी रहे हो। उसको महसूस करो जो समय मिला है, उसका सदुपयोग करो।
अपने अंदर सकारात्मकता का गहरा संचार कर दो,कि इस मुश्किल घड़ी में कोई नकारात्मकता छू भी ना पाए।
असहाय नहीं हो, मजबूत बन रहे हो तुम। बस यही विश्वास गहरा और बढ़ता जाए।
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