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तुम्हारे एहसास में बदहवास बैठे हैं,
स्वयं की तलाश में बैठे हैं...;
मगरूर चांद से बहुत दूर ,
सितारों के आसपास बैठे हैं.!✨
मन मारे यूं ही उदास बैठे हैं,
बहुत खोया,अब पाने की आस में बैठे हैं.;
आंखों में आंसू बहुत है मगर,
सुर्ख लबों पे प्यास लिए बैठे हैं.!!
✍️ #कुमारलक्ष्मीकांत (#बदनाम शायर)❣️
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