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सर्दी ले आती है
अपने साथ तमाम उम्मीदें..
निर्माण कार्य ठप्प हो जाते हैं
शरहादो पर तेज सर्दी में ।
फिर हम अभियंताओं का
वहां क्या काम भला!
शरहद की माइनस की जमाने वाली ठंड से
घर की कंपकंपाने वाली ठंड में छुट्टी पर आना
अरे! यहां कितनी ठंडी है!
कहकर, मां के हाथों से गरमागरम पकवान बनवाना
चूल्हे की आग से
अलाव की राख तक
ठंड की गर्माहट को सीने में बसाना !
और फिर धीरे धीरे
सर्दी जाने को तैयार होती है।
तैयार होने लगते है बैग
फिर से शरहदो पर जाने को।
वापसी में शरहदों पर
तेज सर्दी थोड़ी कम हो जाती है।
मां के दिए पकवान ठंडे मगर
कुछ ज्यादा स्वादिष्ट मालूम होते हैं!
खाली डब्बों से सुनाई देता है..
मां के पकवानों की छनछनाहट की आवाजें
और याद आने लगती है..
घर वालों की बातों के साथ
घर के सर्दी की गूंज...!
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