याद आती है's image
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सचमुच बहुत याद आती है
रात में नींद जब आंखो में भारी होती है
या सुबह की पहली किरण मेरे चेहरे पे होती है...
 
तन्हाई के जलते सहरा में, तुम्हारी प्यास लिए
मैं नंगे पाँव चलता हूँ
या जब कभी यूँही, हसती-उछलती दौड़ती धारा में
पैरों को भीगोता हूँ...
जब असमान में अकेला चांद जलता है
और सारा जहाँ सोता है
या जब धरती की बाहों में सरकता सूरज,
क्षीतिज पर होता है
वसंत में कालियाँ जब भँवरों के लिए तरसती हैं
या जब घंघोर घटायें, तेज हवाओं के साथ बरसती हैं...
कभी जो खुशियों के ख्वाब बुनता हूं
अकेले कमरे में लेट कर
कभी जो अपनी धड़कनों को सुनता हूं
कभी यूँही बैठे-बैठे खिड़की से
कबूतरों को देखता हूं
या जब कभी कहीं दूर का सफ़र करता हूं....
 
पूरे दिन दफ्तर में रहता हूं
दोस्तों से मिलता हूँ, बातें करता हूं
हाँ, मैं सुबह से शाम तक व्यस्त रहता हूं
मगर जब-जब मैं सांस लेता हूं
तम्हारी याद आती हैँ
सचमुच बहुत याद आती है.....।।
--पीयूष यादव


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