Share0 Bookmarks 46743 Reads5 Likes
सचमुच बहुत याद आती है
रात में नींद जब आंखो में भरी होती है
या सुबह की पहली किरण मेरे चेहरे पे होती है...
तन्हाई के जलते सहरा में, तुम्हारी प्यास लिए
मैं नंगे पाँव चलता हूँ
या जब कभी यूँही, हंसती-उछलती दौड़ती धारा में
पैरों को भीगोता हूँ...
जब आसमान में अकेला चांद जलता है
और सारा जहाँ सोता है
या जब धरती की बाहों में सरकता सूरज,
क्षीतिज पर होता है
वसंत में कलियाँ जब भँवरों के लिए तरसती हैं
या
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments