तमाम उम्र सुकून's image
Love PoetryPoetry1 min read

तमाम उम्र सुकून

piyush15796piyush15796 March 11, 2023
Share0 Bookmarks 71 Reads1 Likes

तमाम उम्र सुकून खोजते रहे हम

मिलता है कहीं चैन? सोचते रहे हम

पता नहीं फिर कब, तुम चले आए

ख्वाबों में भी अक्सर मुस्कुराते रहे हम

न रहा कोई दर्द, नाही गम किसी चीज का

कुछ यूँ तेरे ख्याल में खोए रहे हम

मत पूछ तुझे पाकर किस हद तक हैं मेरी खुशियां

चुभा जो कोई काँटा, हँसते रहे हम

न जाने कैसी मिठास, है घुली हुई तुझमें?

जी भर के तुझे देखा, फिर भी प्यासे ही रहे हम

आते हो जब सँवर के, मिलने, मेरे महबूब

देखूँ जो तेरा चेहरा, मरते ही रहे हम

है कौन सा जादू तेरी इन मस्त दो आँखों में?

झाँका जो इनमें एक बार, डूबे ही रहे हम

फैलाया था एक बार, तुमने, आँचल मेरे चेहरे पर

एक अर्सा उसी छाँव में सोये रहे हम

पकड़ा था जब उस दिन तुमने मेरे हाथों को

ख्वाब, ताउम्र तेरे संग जीने के संजोते रहे हम

--पीयूष यादव


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts