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हृदय भेदती विरहा को

piyush15796piyush15796 February 23, 2023
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हृदय भेदती विरहा को, हृदय से लगाये बैठा था..

जान-बुझकर सीने से यह घाव लगाये बैठा था..

जा तो चुकी थी तुम दूर बहुत, ना मिलने की ख्वाइश मुझे रखनी थी..

पर तुम आओगी मिलने मुझसे, मैं आस लगाये बैठा था..

--पीयूष यादव


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