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तुम्हें बताऊँ अपना हाल मेरे हमराज़ क्या..
जब खुदा ही रूठ गया तो दुनिया से ऐतराज़ क्या..
मोहब्बत ही रही है, हर गजल का अंदाज..
फिर मीर क्या, जौन क्या, फराज़ क्या..
--पीयूष यादव
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तुम्हें बताऊँ अपना हाल मेरे हमराज़ क्या..
जब खुदा ही रूठ गया तो दुनिया से ऐतराज़ क्या..
मोहब्बत ही रही है, हर गजल का अंदाज..
फिर मीर क्या, जौन क्या, फराज़ क्या..
--पीयूष यादव
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