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कल जो कुछ थी जरूरतें, आज वो सब कुछ अपने पास है मैं क्या करूं, कहां जाऊँ?, मझे सुकून की तलाश है। मौत भी हसने लगी, देखकर मेरी बेबसी था खंजर उसी के हाथ में, हाँ वही जो मेरा खास है। --पीयूष यादव
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