प्यार और मौसम's image
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ला रख दो क्युं ना समंदर सारा

फिर भी ना प्यास बुझाता है

ना भेजे वो* बुंदो को अगर (*ईश्वर)

बिन प्रश्न किए मर जाता है।

मुझे प्यार लगे चातक की तरह (* एक पंछी जो सिर्फ बारिश की बूंदों से ही अपनी प्यास बुझाता है)

और तुम छम से गिरो ​​बारिश की तरह।


कभी देखा है सुखी धरती को?

कैसे वो आग उगलती है?

मिलन को तरसती उस धरणी की

छाति कैसे फट जाती है?

कुछ हाल हमारा भी हो ऐसा

एक जलते-तड़पते जर्रे जैसा

मेरा दिल भी फटे, उस कांतेय* की तरह (*प्रेमी, इंगित है धरती को जिसे बारिश की प्रतीक्षा है)

और तुम छम से गिरो ​​बारिश की तरह।


इस अनन्य प्रेम की दुनिया में

हो चारो ओर प्रणय की हरियाली

इक उम्र मिले हम ऐसा भी

हो जीवन, सावन जैसा भी

न हो संताप, न विरह-वेदना

बस प्रेम का निर्मल रस टपके

मधुर मनोहर अनुराग हमारा

चंदे के योवन सा चमके

धुल जाए लेश* पत्तों की तरह (*दुख, कलह)

एक माह मिले सावन की तरह



जब शीत की शीतल रातों में

उजली ​​उजली ​​बर्फ गिरे

तब हम बाहों के कंबल में

सुंदर-सुंदर स्वप्न बुनें

जब ठंडी पवन मेरी काया को

शीथिल-सैत्य सी करने लगे

तेरी सांसों की फिर ताव-तपिश

छु कर मुझको निधाध* करे (*पुनर्जीवित)

हम साथ रहें लौ-दीप की तरह

कुछ साल मिले सर्दी की तरह


हर पल हर अंश हर्ष-पुलक में

प्यार हमारा डूबा रहे

इस रिश्ते की साखों पे सदा

वत्सल्य-स्नेह के पुष्प खिलें

मेरे अंतःकरण के उपवन में

तुम साथ रहो धड़कन की तरह

मैं लिपटा रहुं मधुकर की तरह

एक उम्र मिले माधव* की तरह (*वसंत)


तुम छम से गिरो ​​बारिश की तरह

कुछ माह मिले सावन की तरह

कुछ साल मिले सर्दी की तरह

एक उम्र मिले माधव की तरह

--पीयूष यादव

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