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आकर हंसती है बिस्तर पर, आंखों में नहीं आती
बड़ी होशियार है, झांसे में नहीं आती
आ जाती है उदासी बिन बुलाये हर शाम
पर एक मुद्दत से मुझको, नींद नहीं आती
इस सिलसिले की कोशिशें नाकाम ही रहीं
तुम्हारी याद आती रहती है, नींद नहीं आती
मौत तो दिख रही है वो आते हुए दूर से
क्या सितम है कि मुझको, नींद नहीं आती
बैठे हो तोड़कर किसी के हसीन ख्वाब
फिर पुछते हो तुम, क्युँ नींद नहीं आती?
जो छीन ले बिनाई अपनी ही मोहब्बत के
है उसकी सजा मुकर्रर कि उसको, नींद नहीं आती...
-पीयूष यादव
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