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निभा पाओ उम्र भर तो ही वादे करना
फ़िर उसकी याद में क़ुर्बान चाहे हज़ारो रातें करना
सीख लेना ये खूबसूरत सलीका मोहब्बत का
उसके दामन पर लगे दाग को तुम अपने माथे करना
क़त्ल करना था? तो बोलते, हम सीना आगे किए देते
हमे नहीं पसंद आया तुम्हारा, ये दोस्ती में घातें करना
जरूरी नहीं कि हर शाम महफिलों के ही नाम की जाए
कभी खुद के साथ भी खामोशी से बैठने के इरादे करना
बदनाम कर रखा है जमाने ने खामख्वा तन्हाई को
अच्छा लगता है अक्सर खुद से ही बातें करना
--पीयूष यादव
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