मेरी कलम's image
Share0 Bookmarks 186 Reads3 Likes
जब जन्म लिया तो माँ ने शगुन के लिए, बेहतर भविष्य के लिए
हाथों में एक कलम थमा दी..
वो थी मेरी पहली कलम
जब पापा मुझे स्कूल ले गए ताकि मैं पढ़-लिख के कुछ बन सकूँ ..
तब थी चली मेरे साथ, मेरी कलम
दुनिया की रीति को, इसकी नीति को... 
सीखने में, सीखाने की देवी बनी, मेरी कलम
दोस्तों के संग खेले खेलों में... 
थी साथ खेली मेरे, मेरी कलम।
 
जब दिल ने कहा कि अपने एहसासों को,
शब्दों में पिरोओ, तब थी मेरे हाथों में, मेरी कलम
बहुत से दोस्त बने...
कुछ प्यारे, कुछ नटखट से..
उन सब में सबसे चुलबुली थी, मेरी कलम।
 
आती है हर शख्स के जीवन में जवानी
बदली मेरी भी दुनिया, मेरी कहानी
कदम रखे जब मैंने भी
उन रेशम से एहसासों पर
तब थी मेरे हाथों में सजती, मेरी कलम
 
जब उनको देखा 
तो आँखों ने अपना रंग बदला, दिल ने गुनगुना सीखा
तब उस पहली मुलाकात की साक्षी बनी, मेरी कलम
उनसे प्यार हुआ..
तो उनसे जुड़े जज़्बातों को, सपनों को
उम्र भर संभाल के रखने के लिए, हाथों में थी, मेरी कलम
शाम जब उनके ख्यालों में खोया रहता
तब साथ में मेरे खोयी रहती, मेरी कलम
जब सनसनाती, महकती हवा मुझे छूकर गुजरती
बारिश की बूंदे, मेरी रूह को भीगोतीं..
तब उन पलों को क़ैद करने वाली थी, मेरी कलम
संग उनके बुनते हुए सपनों को, मेरे साथ बुनती, मेरी कलम
मुदद्त गुजरे उनके साथ में...
उन लम्हों की सुबूत है...मेरी कलम
 
फिर हवा ने रुख लिया और वो हमें छोड़ गए...
तब कुछ जो रुका था, कुछ बचा था, वो थी मेरी कलाम
मैं सिसकता, सहमता, उनके लिए
उन्हें अपना बनाने के लिए तड़प उठता...
उन सदियों-सी लंबी, दहकती रातों में... 
मेरे साथ में सिसकती मेरी कलम।
 
वक्त गुजरा,  हम अकेले हुए
तब कोई ऐसा जिसे मैं अपना कह सकता 
वो थी बस मेरी कलम..
ये मेरी कलम ही तो है जिसने कभी मेरा साथ नहीं छोड़ा...
यही तो है जिसके वजह से मैं सिर्फ़ मुस्कुराया, जिसने कभी रुलाया नहीं मुझे...
 
हमेशा जिसने निःस्वार्थ भाव से मुझे अपना प्यार दिया...
कभी रूठी नहीं मुझसे और ना कभी रूठने दिया
जिसने मेरी खुशियों को दूनी और मेरे दुःखों को आधा कर दिया...
मेरा सच्चा साथी, मेरी सहेली, मेरा प्यार, मेरा हमसफर, मेरा सब कुछ..
हमेशा से एक ही था, वो थी मेरी कलम..
मेरी प्यारी कलम...मेरी अपनी कलम..
--पीयूष यादव


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts