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कामयाब हैं वो आँखे फरेबी लिए, हम अपनी सादगी के साथ खड़े सबसे पीछे हैं
ये जो खूबसूरत फूल मुस्कुरा रहे हैं मोहब्बत के, अपने लहू से इन्हें हमने सींचे हैं
हजार जख्म दिए हैं जमाने ने, हजार दीवारें दरमियाँ में खींचे हैं
है गवाह आसमान मगर इसका, दूर होकर भी हम एक ही छत के नीचे हैं।
--पीयूष यादव
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