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पिंजरे में क़ैद एक पंछी को
जो अंबर से मोहब्बत होती है।
सहरा में तड़पते एक राही को
जो पानी से मोहब्बत होती है।
तूफाँ में फंसे एक मांझी को
जो साहिल से मोहब्बत होती है।
कीचड़ में खिले एक पंकज को
जो सूरज से मोहब्बत होती है।
भूले-भटके रोते बच्चे को
जो घर से मोहब्बत होती है।
ठंडी में ठिठुरते एक हलधर को
जो फसलों से मोहब्बत होती है।
मरती-जलती सुखी धरती को
जो बारिश से मोहब्बत होती है।
बस ऐसी मोहब्बत करता हूँ
मै तुमसे मोहब्बत करता हूँ..।।
--पीयूष यादव
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