
Share0 Bookmarks 270 Reads1 Likes
मुफलिसी का दाग लिए जब इंसान चल दिए
फिर दोस्त भी गिनाने एहसान चल दिए
शायद वो हाथ थाम ले इसी आस में थे खड़े
मगर रास्ता बदलकर हमराह चल दिए
उठी ना एक बार भी उनकी मोहब्बत भरी नजर
उठकर उनकी बज्म से फिर हम भी चल दिए
अपने नसीब में थे बस गम ही रह गए
फ़िर एक रोज़ मेरे सारे गम भी चल दिए
पहले चली तड़प, फिर उदासी पीछे-पीछे
आंखों से रूठकर आंसू भी चल दिए
जाने के बाद उनके, हुई बेरंग ज़िंदगी
जैसे जिंदगी के सारे, मौजूँ ही चल दिए
इनके ही सुलगने से थी सांसें संभल रहीं
फ़िर तन्हाईयों में छोड़कर सब अरमान चल दिए
मैय्यत भी न रोक पाई अपनों को मेरे पास
कुछ देर रुक के सारे मेहमान चल दिए
बेशक हम ना लौटते मगर आवाज तो देते
कुछ लोग बगैर दिए सदायें ही चल दिए
शाम होते होते बस साए थे रह गए
आई जो काली रात तो साए भी चल दिए
--पीयूष यादव
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments