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काश दिल जोड़ना उतना ही मुश्किल होता,
जितना की दिल तोड़ना |
बस कुछ एक मुलाकात,
कुछ इधर-उधर की बात,
नज़रो को देख दिल में देखने की घात,
धीरे-धीरे किसीके लिए उभरते जस्बात,
कभी उनके होना लगता एक ख्वाब,
और न होना बुनता ढेरो ख्याल,
दिल जुड़ जाता है इन्ही छोटी-छोटी चीज़ो के बीच,
एक वक्त के लिए,
जो हो सकता है कभी महीने साल या जन्मो तक के बीच |
वहीं दिल टूटता है थोड़ा-थोड़ा कई रोज़,
और फिर एक दिन बिखर जाता है,
जैसे रूह निकल जाती हो देह से
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