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सुनसान सड़क पर चलती औरत

pinki jhapinki jha September 14, 2021
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सुनसान सड़क पर चलती औरत को, 

डर किसी जानवर के मिलने का नहीं ,

डर है कि कोई इंसानी भेड़िया न टकरा जाए ,

पीछा करते कही उसका ठिकाना न जान ले, 

उसके अपनों को न पहचान ले ,

हर अँधेरे किनारों पे सहम जाती है वो ,

सँभालते कभी कपड़ें कभी खुदको ,

अपने घर की ओर कदम बढाती है ,

बस जल्द से जल्द घर पहुँचना चाहती है ,

जहा वो शायद सुरक्षित है ,

वो जानती है कोई आदमी जब उसे देखेगा ,

जरुरी नहीं हर बार सही नज़र होगी ,

सामने कुछ और मन में और कुछ होगा ,

उसे किसी की बेटी, बहु, माँ या घर की इज़्जत नहीं ,

बस एक चीज़ समझा जायेगा ,

कोई अपनी वासना और उसका आत्मसम्मान बस मिटाना चाहेगा ,

देखकर छूकर या किसी और तरह से ,

उसे मलिन करना चाहेगा ,

दुनिया में निकले न वो ,

घर में कैद उसे ही अपनी दुनिया समझे चाह

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