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इश्क़ होना जरुरी है,
जैसा सबको है वैसा ही हो,
ये जरुरी नहीं |
कोई विधि नहीं है कि,
जैसा लिख दिया वैसा ही हो,
कोई दायरा नहीं है ,
चुनने की आज़ादी है,
हो कोई भी कैसा भी मंजूरी तुम्हारी है |
गलत कहे जमाना फिर भी है वो सही लगे,
रोक क्यों लोगे खुदको,
वही चुनो जो दिल कहे |
हो इश्क़ कैसा भी,
पवित्र है ये जान लो,
स्त्री-पुरुष पुरुष-पुरुष स्त्री-स्त्री का हो,
समान है , अनमोल है ,
बात गाँठ बांध लो |
बस मन जब कुछ कहे ,
सौ बार पुछलो उससे,
टटोलकर तसली करलो ,
लाख सवाल उठे या दोष लगे ,
पीछे तो नहीं हटोगे ,
जो चुना है तुमने,
उसके साथ डटे खड़े रहोगे |
बाकि तो बस इश्क़ होना जरुरी है |
- पिंकी झा
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