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वो रात न जाने कितनी बड़ी होगी
जब दरवाज़े पे तन्हाई खड़ी होगी
कौए ने जी भर के पेट भरा होगा
तब जाकर कहीं लाश सड़ी होगी
पिता को घेर लिया फ़िर इ
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वो रात न जाने कितनी बड़ी होगी
जब दरवाज़े पे तन्हाई खड़ी होगी
कौए ने जी भर के पेट भरा होगा
तब जाकर कहीं लाश सड़ी होगी
पिता को घेर लिया फ़िर इ
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