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दिल उसके लिए रोया जिसे कभी छुआ भी नहीं
तेरे अलावा किसी दूसरे से इश्क़ हुआ भी नहीं
तेरी यादों में लिखी गयी ग़ज़ले जो फाड़ दे
क्या करूँ मेरे घर में तो ऐसा कोई चूहा भी नहीं
मजनूं अगर जान देना चाहे तो भी क्या करें
आसपास छलाँग लगा सके ऐसा कुआँ भी नहीं
मोहब्बत भी करो और कभी चर्चा भी न हो
आग लगे और उठे न ऐसा कोई धुँआ भी नहीं
- पिनाक मोढ़ा
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