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थामा था सुबह की पहली किरण का हाथ,

जब किरणे क्षणिक ही चेहरे पे आ गिरे तो मायूस चेहरा भी खिल उठता है,किस कदर रस्ते को अपने रस्ते छोड़ आगे चले जाते हुए देखा है करीब से

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