
Share0 Bookmarks 47 Reads0 Likes
जहां थी ही ना कद्र कभी, वांहा आंसू बहाने से क्या फायदा,
जब था ही नहीं फ़र्क की हम कैसे है तो बात उल्टी समझे या सीधी क्या फ़र्क पड़ता है,
No posts
No posts
No posts
No posts
जहां थी ही ना कद्र कभी, वांहा आंसू बहाने से क्या फायदा,
जब था ही नहीं फ़र्क की हम कैसे है तो बात उल्टी समझे या सीधी क्या फ़र्क पड़ता है,
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments