Share1 Bookmarks 43350 Reads2 Likes
सब दिया है उसने
कुदरत से जिंदगी तक
दानिश की शर्मिंदगी तक
सवाल बस इतना था की,
थोड़ी सी मासूमियत भी दे देता
सब कुछ तो दे दिया,
बस थोड़ी सी इंसानियत भी दे देता...
बहरहाल
शैतान ने बड़े प्यार से चुनी थीं
क्या वो आवाजें तुमने भी सुनी थीं?
उन आवाजों में, एक दर्द का एहसास था,
उन आवाजों में, कुछ खास था।
हालांकि,
वो खासियत सिर्फ हम जैसों के लिए है...
क्योंकि इन बड़े बड़े शहरों में,
जहां हाथों से रगों तक सिर्फ ज़ाम होता है,
ऐसी आवाजों का आना,
आम होता है।
अगर तुमने थोड़ा सा ध्यान दिया होता,
तो तुम्हे मालूम होता
की...
वो आवाजें दो तरह की थीं।
दो तरह के लोगों की थीं।
पहली आवाजों में
हंसी थी, खिलखिलाहट थी।
तो दूसरी ओर
दर्द था, चिल्लाहट थी।
जो लोग खुश थे, बेदर्द थे,
और जो बचे थे, खौफ से ज़र्द थे।
वो लोग जो चिल्ला रहे थे,
जिनमे हौंसला कम था
जिनके दिल में गम था:
ये लोग कौन थे?
उनकी वो चीखती चिल्लाती आवाजें
किसे पुकार रही थीं?
किसे ढूंढ रही थीं?
उन आवाजों के सन्नाटे में
कुछ माएं थीं
जो दम घोंट देने वाले बारूद के धुंए में
अपनी औलादें तलाश रही थीं।
कुछ बाप थे
जिनके जीवन अब अभिशाप थे।
जिनके बच्चे,
मंज़िल पाने गए तो थे
मगर लौट ना सके...
उन आवाजों में कुछ माशूक थे
जिनके इश्क,
एक अनचाही जंग में फना हो गए।
ये उस बेपनाह दर्द की आवाज़ें थीं
किसी के छूटने का दर्द...
दिल के टूटने का दर्द...
खुदा के रूठने का दर्द...
ये आवाजें उन लोगों की थीं
जिनका उन वजूहात से कोई वास्ता न था
जिन वजूहात की वजह से
उन्हें आवाज़ बनने पर मजबूर होना पड़ा
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments