Share1 Bookmarks 243444 Reads0 Likes
कोई मुक्कमल चीज़ हो इस जहाँ में पाने के लिये।
में रात भर जलता रहा उस मोमबत्ती को बुझाने के लिये।
कोई हो तेरा ख़्वाब की इतना हसीन हो,
जो काफी हो मुझे एक चैन की नींद सुलाने के लिये।
जाने कितनों घरो से वास्ता है शहर है तेरे
फिर भी गाँ
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments