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उमड़ घुमड़ कर बादल आए
हजारों खुशियां संग लाये
काली गठरी में भरकर पानी लाए
गर्मी को ये दूर भगाएं
उमड़ घुमड़ कर बादल आए
प्यासी धरती को अब जल मिलेगा
पेड़ों पर अब फल लगेगा
हर तरफ होगी हरियाली
कहीं किसान तू कहीं खुश होगे वनमाली
मुरझाए फूलों में अब आएगी लाली
सूखे गड्ढों में अब होगा पानी
ऊपर आएंगी मछली रानी
जमीन पर अब तो फिसलेगी पाव
कागज की अब तैरेगी नाव
जंगल में मोर मचाए शोर
नहीं चलेगा अब किसी का जोर
वर्षा होगी अब घनघोर
हम तो चले भैया ठंडी फिजाओं कि ओर।।
।।पवन कुमार यादव ।।
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