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कौन हूँ ?
मैं आस हूँ, तलाश हूँ,
मैं गैर हूँ या खास हूँ,
मैं प्यास हूँ।
मुस्कुराता फूल हूँ या मुरझाई सी इक कली,
खिलखिलाती धूप हूँ या बादलों सी बेरुखी,
मैं साज़ हूँ, आवाज़ हूँ,
लाख़ों के दिल के पास हूँ,
मैं राज़ हूँ।
मन का आनंद हूँ या करुण हृदय की वेदना,
शरीर की मूर्च्छा हूँ या अंतर्मन की चेतना,
मैं शोर हूँ, चहुँओर हूँ,
मैं क्षोभ हूँ।
वक़्त कोई ठहरा हुआ या फिसलती रेत हूँ,
घटाओं सी श्याम हूँ या बादलों सी श्वेत हूँ,
बंज़र मैं ज़मीं कोई या लहलहाता खेत हूँ,
मैं हेत हूँ।
मैं उदित हूँ, मैं अस्त भी,
मैं व्यथित हूँ, मैं मस्त भी,
मैं शक्त हूँ, मैं अशक्त भी,
मैं रक्त हूँ, मैं वक़्त भी,
मैं आग हूँ, मैं राख भी,
मैं जटा भी हूँ और शाख़ भी,
मैं ऋजु हूँ,
मैं वक्र हूँ,
सबके जीवन से जुड़ा
मैं समय का चक्र हूँ।
- पारुल धीरही
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