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गुमनाम शायर

PARTH BISENPARTH BISEN June 16, 2020
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मोहब्बत गर अल्फाजों में बंध सकती ,

तो कोई शायर पैदा ही नहीं होता ,

ये ज़रूर रूह का मसला है ,

जो कभी ज़िस्म में मुक्कमल नहीं हो सकता ,

शायद इसलिये इश्क की दास्तां हर 

कोई लफजोँ में कैद करना चाहता है ,

और मोहब्बत फिर भी आजाद रहती है ,

फिर से किसी के दिल पे दस्तक देती है ,

फिर नय़ा शायर जन्म लेता है ,

पर अपना अधूरा ख्वाब फिर

जिंदा छोड़ इस जहां से रुखसत हो लेता है।।।

 शिवा पार्थ

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