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न देखा कोई ख़्वाब
तो क्या हर्ज़ है
दुनिया को दे जवाब
कहाँ तेरा फ़र्ज है
बस भाग रहें हैं सब
एक होड़ लगी है
ज़िन्दगी है भाई
थोड़े कोई दौड़ लगी है
पैदा होने से सोच लो
क्या करना हैं
ज़रा सी मोहलत है साँस
फिर तुझे भी मरना है
तो क्यों जीना फिर ऐसे
जैसे कोई मर्ज़ है
न देखा कोई ख़्वाब
तो क्या हर्ज़ है
हर एक साँस का
हिसाब क्यों रखा है
खोल दे हसरतों को
इन्हें बाँध क्यों रखा है
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