कभी कभी मुझे लगता है   मेरी सारी कवितायें बेमानी हैं's image
Poetry2 min read

कभी कभी मुझे लगता है मेरी सारी कवितायें बेमानी हैं

Parikshit JoshiParikshit Joshi December 23, 2022
Share0 Bookmarks 42767 Reads0 Likes

कभी कभी मुझे लगता है 

मेरी सारी कवितायें बेमानी हैं


कभी मैं शब्दों का सहारा लिए 

भागता रहता हूँ 

उन सारे जज़्बातों, हालातों से,लोगों और नातों से,

कि जिनके साथ चलने की

ताक़त नहीं होती मुझमें मैं कविता को ताबूत बना क्र 

गाड़ देता हूँ उन्हें 

या कभी जब

मन की बातें,

सीधी, साधारण और सादी लगती हैं

उन सीधी-सादी बातों के धागे को 

शब्दों की सींख से बुनकर 

स्वेटर बना देता हूँ उन्हें 

कि अकेलेपन की सर्द रातों में

अपनी ही नीरस बातों से ऊँब न जाऊं मैं 


ऐसी ही एक रात को

एक कविता आके बैठी मेरे पास 

पूछने लगी मुझसे 

क्यों को तुम इतने उदास?

सर्द रात में देने को 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts