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"अगर तू होता"
अगर तू होता मुसाफ़िर
तो मुझे तेरी मंज़िल होना कबूल होता
अगर तू होता छँद
तो मुझे तेरी कविता होना कबूल होता
अगर तू लिखता इश्क़
तो मुझे तेरे पन्नो में कैद होना कबूल होता
अगर तू गुज़रता हवा सा
तो मुझे तेरे झुमके होना कबूल होता
अगर तू होता क़ैद खाना
तो मुझे मुज़रिम होना कबूल होता
अगर तू होता तो सब हसीन
तेरे बगैर सब कुछ फ़िज़ूल होता
अगर तू होता साथ
तो क्या ख़ुशियाँ गम भी कबूल होता
तू जैसा भी होता मुझे कबूल होता?
Pankaj murenvi
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