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चल रहा अब्र चल रही बारिश की बूंदे

चल रही हवा है

मौसम सुहाना सुहानी लग रही हवा है 

विचलित मन मेरा विचलित मेरा तन जैसे होते हवन

तप्ति गर्मी ढ़लती शाम हमें इंतज़ार छाँव का

छठती घटा अब्र को बताये

बारिश में इठलाती बेल ,पत्तो पर हरियाली

टिमटिमाते तारे चांदनी रात लग रहा हो

जैसे गीत कोई गुनगुनाये


माली कलियों के खिलने को भवरे फूलों पे 

उड़ने को,मैदानों में मोर पँख पसारे बारिश की 

बैठा आस लगाये

नहरें नदीयों के छल-छल कल-कल की वो धुन 

लगता है सुन कर फिर से कोई आर.डी. वर्मन 

आके कोई गीत सुनाये

चल रहा अब्र चल रही बारिश की बूंदे

चल रही हवा है

मौसम सुहाना सुहानी लग रही हवा है 

Pankaj_murenvi


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