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ख़ामोश रहो यूं दर्द का प्रदर्शन यहां सबके सामने वाजिब नहीं हैं,
सब अपनी जिंदगी में व्यस्त हैं, यहां पर किसी का समय भी मुफ्त में पाना मुनासिब नहीं हैं,
चल रही है अपनी रफ़्तार से जिंदगी कुछ यूंही,
यहां पर साथ किसी का पाना यूं आसान नहीं हैं,
निकलते है सफर पर अनेकों मुसाफिर यहां ऐसे तो,
लेकिन
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