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साहस


उजड़ गए सब खेत खलियान,

बड़ा तूफ़ान आ कर गुज़र गया ।

फिर जुट गयी प्रकृति अपने काम में,

अंकुर नया कोई फूट गया ।

उठ जा ! ले सबक़ इस धरती से,

साहस तेरा क्यूँ छूट गया ?

इंसान हैं तू काँच नहीं,

की एक बार टूटा और बिखर गया ।



-Palak Agrawal [Writeupsfromtheheart]





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