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कहाँ हैं?
कबाट में कुछ कपडे रखे है,
कब से मुझे घूर रहे है,
पूछ रहे है अपने अधिपति के बारे में !
दहलीज पर रखे जूते,
आँगन में खड़ी गाड़ी,
चौखट पर रखा चश्मा,
और दराज में पड़ी घडी, भी यही पूछ रही है !
मैं निरुत्तर हूँ, आँखों में शुन्य लिए
बस ख़ामोशी से सर हिला देती हूँ !
यह निर्जीव वस्तुए भी बोल पड़ी है,
इन्हे देख कर ईश्वर से यही पूछती हूँ,
वह मेरे पिता कहाँ है?
जो मुझे इस दुनिया में लाये थे,
जो मुझे इस दुनिया में अकेला छोड़ चले गए !
- पलक अग्रवाल !
- पलक अग्रवाल
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