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एक बेटी का पिता

Palak AgrawalPalak Agrawal June 3, 2022
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पिता को खो देना शायद जीवन का सबसे बड़ा दुःख होता है। आज मैं उसी पीड़ा से गुज़र रही हूँ। पिता को जाने के बाद अग्नि देना और उसमे समाहित करना बहुत ही कठिन क्षण था। अपनी वेदना कुछ पंक्तियों में लिखती हूँ। 


एक बेटी का पिता


हे पिता, मेरे जनक

मैं तुम्हारी जानकी हूँ ॥


सत्कर्म तुमने किए आजीवन

अब तुम्हें सदगति दिलाती हूँ ॥


कन्या वर्ण होते हुए भी

राम का कर्म निभाती हूँ ॥


मेरी करनी ग्रहण तुम करना

भूल हुई जो क्षमा करना ॥


तुम सुखपूर्वक बिताओ स्वर्ग में वास अपना

मैं धरती पर अपने पाप काटती हूँ ॥


हे पिता, मेरे जनक

मैं तुम्हारी जानकी हूँ ॥


- आपकी पुत्री पलक अग्रवाल


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