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एहसास के चिल्लर
फुटकर एहसास बाँट कर
इतना जाना,
एहसास की चिल्लर बेमानी है,
जरूरत ही की मांग है,
जब तक है
तब तक शहंशाह
जरूरत ख़त्म
इंसान हज़्म,
एहसास की चिल्लर
ले कहाँ जाएँ,
मासूम सा बना खिलोना
दिल, इसको अब कैसे समझाएं ,
एहसास की चिल्लर
खनकती बहुत है,
दिन रात आँखों से
बरसती खूब है।
-पद्मजा राघव
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