तेरी गली's image
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मेरी नींद पे उस ज़ालिम का इख्तियार है,

जिसे पाने की सारी कोशिशें बेकार है।

उन के दीदार को खड़े हैं गली में न जाने कितने,

पर मैं जानता हूं की वो कितने समझदार हैं।


खुली जो खिड़की लगा रहमतों का दरवाजा खुल गया,

अब न दिखे

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