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शोर बढ़ता ही जा रहा है सफर में,
वक्त कट रहा है किसी के ऐतबार में।
जिक्र कर रहें हैं हम उस फिक्र का,
की रह न जाएं बैठे यूहीं इंतजार में।
राह से गुजर रहे थे मिल जो गए वो,
कह दिया करो सब्र आयेंगे दयार में।
रोज नए वादे सुनें और कर भी लें यकीन,
कट न जाए सफर कहीं इसी रोजगार में।
सजदे में झुक गए हम जो दिल में दी जगह,
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