सर्दी की शाम's image
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कोहरे की दोशाला ओढ़े आ गई फिर वही शाम।


उनके दुपट्टे से जो बांधी,

दिल में भरे इश्क की आंधी।


अब बताओ हम कैसे कर ले आराम।


उनकी जो रजा हो,

मेरी हसरतों को सजा हो।


ईश्क में अक्सर ऐसा ही होता है अंजाम।


आंखें भी हैं नम जरा सा, 

हाथों में है रम जरा सा।


लिख लिख के गजल भेजते हैं उनको पैगाम।


कोहरे की दोशाला ओढ़े आ गई फिर वही शाम।

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