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कोहरे की दोशाला ओढ़े आ गई फिर वही शाम।
उनके दुपट्टे से जो बांधी,
दिल में भरे इश्क की आंधी।
अब बताओ हम कैसे कर ले आराम।
उनकी जो रजा हो,
मेरी हसरतों को सजा हो।
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कोहरे की दोशाला ओढ़े आ गई फिर वही शाम।
उनके दुपट्टे से जो बांधी,
दिल में भरे इश्क की आंधी।
अब बताओ हम कैसे कर ले आराम।
उनकी जो रजा हो,
मेरी हसरतों को सजा हो।
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