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काली घटाओं ने जो बरसाई हैं फिर बूंदें,
तेरी याद के छाने का वक्त है,
वियोग के कटु सत्य की बौछारें भी आएंगी,
एक प्याले की जरूरत बहोत सख्त है।
मशरूफ थे हम रोजमर्रा के काम की धूप में,
मिल रहे थे छोटे छोटे सुख और दुख अलग अलग स्वरूप में,
दिखा जो तुम्हारा अक्स काले बादलों में,
अंखियां भिगोने का वक्त है,
आज फिर एक प्याले की जरूरत बहुत सख्त है।
जिंदगी किसी के
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