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कान थक गए हैं मास्क के भार से,
सांसें भी आ रहीं है कपड़े के दरबार से,
वैक्सीन की डोज भी बढ़ती जा रही है,
नई नई प्रजातियां जाने कहां से आ रहीं है।
कुछ अच्छा वक्त जो हमने साथ गुजारा है।
क्या मेरे दिल का चैन नहीं तुझे गवारा है।
बच्चे भी थक गए हैं घर में बंद बंद,
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