गहरे हैं जख्म's image
Share0 Bookmarks 85 Reads0 Likes

गहरे हैं ज़ख्म ऐसे ही थोड़े भर जायेंगे,

थोड़ा सुख, थोडा चैन पहले नोश फरमाएंगे।

रात जाने कब तलक करवटों में निकलेगी,

आंखों से दरिया यूंही निकल आएंगे।


डबडबाई आंखो में फिर उनका चेहरा तैरेगा,

हम इक्कठा हुए थे मुस्किल से खामखा फिर बिखर जायेंगे।

रहनुमाई पे है तेरे भरोसा बहुत,

पर जानेवाले क्या लौट के फिर आएंगे।


गहरे हैं जख्म ऐसे ही थोड़े भर जायेंगे।


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts