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जुस्तजू की पनघट पे आ बैठे वो,
और चल पड़े गागर में मेरा दिल निकाल के।
जरा संभल के हुजूर छलक रहें हैं अरमां,
की इश्क के राह में रखिए कदम संभाल के।
जिंदगी है सफर तो लें इस सफर का भी मजा,
कभी थक जो जाओ तुम भी रख देना अपना दिल निकाल के।
कभी कमर पे तो कभी सिर पे बैठ जाता है वो दिल,
उम्मीद है की निकल जाए ये भी म
और चल पड़े गागर में मेरा दिल निकाल के।
जरा संभल के हुजूर छलक रहें हैं अरमां,
की इश्क के राह में रखिए कदम संभाल के।
जिंदगी है सफर तो लें इस सफर का भी मजा,
कभी थक जो जाओ तुम भी रख देना अपना दिल निकाल के।
कभी कमर पे तो कभी सिर पे बैठ जाता है वो दिल,
उम्मीद है की निकल जाए ये भी म
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