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की बड़ी मेहनत लगती है हुजूर पत्थर तोड़ने में,
जो उनका दिल ही पत्थर हो तो कोई क्या करे।
की अरसा लग जाता है हुजूर ये ज़िद छोड़ने में,
जो दिल संभल ना पाए तो कोई क्या करे।
हो मसरूफ कोई जो इश्क का परचम लहराने में,
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