बढ़ते पेट की व्यथा's image
Zyada Poetry ContestPoetry2 min read

बढ़ते पेट की व्यथा

रोमिलरोमिल July 7, 2022
Share0 Bookmarks 45374 Reads1 Likes

उम्र बढ़ती जा रही है,

पेट भी बढ़ता ही जा रहा है।

न जाने कितने जतन किए मैंने,

कुछ भी काम नहीं आ रहा है।


१० KM भाग के भी देखा,

तला, मीठा त्याग के भी देखा,

पेट मटका हुआ जो हमारा पड़ोसियों ने बोला, 

लगता बाबू सरकारी है बहुत खा रहा है।


उम्र बढ़ती जा रही है,

पेट भी बढ़ता ही जा रहा है।



कमर और पैंट लड़ने लगे,

शर्ट भी पेट पे चढ़ने लगे,

नए कपड़ों का खर्चा लगा अलग,

और बॉस ने समझा लड़का कॉल पे नहीं जा रहा है।


उम्र ब

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts