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जुदाई के तराने गाये जा रहे है देखो मंज़र-ए-शब में
और आ गई हैं रुत बिछड़न की हमें फिर से तन्हा करने
~मिलिंद
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और आ गई हैं रुत बिछड़न की हमें फिर से तन्हा करने
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