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चलो उम्मीदों के शामियाने
उदासियों पर तान आयें
तन्हाई की कड़ी धूप को
बेफिक्री से छान आयें
रफ्ता रफ्ता आती मुस्कराहटें
थोक के भाव से खरीद लायें
क्यूँ ना ख़ुद को अपना दोस्त बना लें
ज़िंदगी अपनी है ख़ुद ही इसे सजा लें
NOOR EY ISHAL
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