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ये दोस्ती तेरी मेरी जारी रहेगी
कभी नकद कभी उधारी रहेगी
तेरे गुस्से पे मेरी हँसी भारी रहेगी
खट्टी-मीठी दास्तानें सारी रहेंगी
दोस्ती के ज़िक्र पे यादें हमारी रहेंगी
सुलह मेरी तल्खियां तुम्हारी रहेंगी
सच्चे दोस्तों से बाकी वफ़ादारी रहेगी
तेरी जेब से ही ख़र्चे खरीदारी रहेगी
पूरे रमजान तेरे घर की इफ्तारी रहेगी
बस ईद पे सिवंइयों में हिस्सेदारी रहेगी
आखिर में सौंपके अपनी फिक्रें सारी तुझे
नींदे हमारी होंगी तेरी शब ए बेदारी रहेगी
NOOR EY ISHAL
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