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Zyada Poetry ContestPoetry1 min read

सब के ज़ख्मों पर मरहम लगाए न गए

Nivedan KumarNivedan Kumar March 31, 2022
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सब के ज़ख्मों पर मरहम लगाए न गए

घर जो उजड़े इक बार बसाए न गए


वस्ल के किस्से सुनाते फिरते हैं सब

हिज्र के किस्से किसी से भी सुनाए न गए


ख़ुदा करता है परेशान अच्छे लोगों को

बुरे लोग ख़ुदा से भी सताए न गए


हकीक़त क्या है जमीं की वो क्या जाने

जो लोग बुलंदी से गिराए न गए


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