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जिस दिन भी दरिया में उतारे जाएंगे
या डूबेगें या तो किनारे जाएंगे
ज़िंदगी से ग़र जंग हुई तो क्या होगा
जीतेंगे हम या फिर मारे जाएंगे
बाबूजी का हाथ पकड़ना लाज़िम है
दुनिया तक हम किसके सहारे जाएंगे
मुश्किल से लड़कर ही क़ाबिल बनते हैं
दुःख से होकर सभी गुजारे जाएंगे
क्यों रोते हो अपनों के खो जाने पर
एक ना एक दिन सबके प्यारे जाएंगे
तेजी से मरहम का कारोबार चले
इसलिए सब के ज़ख्म उभारे जाएंगे
ढूंढ ही लेंगे एक दिन राह बुलंदी की
जिस से होकर मेरे सितारे जाएंगे
सच जितनी तो झूठ की लंबी उम्र नहीं
ये तो तय है सच तक सारे जाएंगे
दौलत,गाड़ी,बंगला सब रह जाएगा
किए कर्म ही साथ हमारे जाएंगे
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